नव वर्ष (दो गीत)
छंद कलश (पाँच छंद)
माँ बेटी
मैं झरने का पानी
मैला चुगते हंसा
प्रकाश पर्व पर दूर हो अज्ञान का अंधेरा
दीप जगमगा गए