माँ बेटी



चुपके-चुपके आ कर बेटी माँ के कानों में।
कुछ भूली बिसरी यादें साझा कर जाती है।।


सास ननद के ताने सुनती चुप रह जाती है।
गम सारे हँसते हँसते वह सब सह जाती है।।


माँ पूछती हाल तो वह हंस कर बतलाती है।
झूठमूठ की हंसी सजाए आंसू पी जाती है।।


बाबुल का घर छोड़ बेटी ससुराल जाती है।
याद पीहर की आ जाए वह छुपके रोती है।।

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