अंतिम सफर...
बरसो से खड़ा हूँ
नीले गगन के तले
की तुम आओगी
आसमान से उतरकर
हवाओं की सरसराहट में
तुम आवाज दोगी
थोमोगी हाथ मेरा
और अपने साथ ले चलोगी
अपने देश में
इस लोक से उस लोक में
जहाँ न कोई डर होगा
जहाँ न कोई शहर होगा
ना बस्ती ना घर होगा
बस तुम्हारे साथ मेरा
वह अंतिम सफर होगा।।
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