अतीत और आंखों में पानी...

अतीत और आंखों में पानी...

आज

मन क्यों बहकता है 

भटकता है 

अपने अतीत को याद करके

जो कभी लौटकर नहीं आएगा

सबकुछ बदला- बदला सा 

घर आंगन बदले

चौपाल बदली संसाधन बदले

मगर बदले नहीं मौसम

बदली नहीं ऋतुएं

वहीं शरद

वही बसंत 

वही शीत

वही शिशिर

मगर लौट कर नही आए

वह बचपन

वह जवानी

यादों में आता अतीत

और आंखों में थोड़ा पानी

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