जय माँ महागौरी, नवदुर्गा के नौ स्वरूप अष्टम दिवस महागौरी दिवस

जय माँ महागौरी 

नवदुर्गा के नौ स्वरूप अष्टम दिवस  महागौरी दिवस

ॐॐ गौरी रत्न-निषद्ध नूपुर लसत पादम्बुजाभिष्टदां । कांचीरराज दुकूल हार ललितां नीलां त्रिनेोज्ज्वलाम् ।। शूलाबस्त्र-रहद्र मण्डिल्लत भुजासुदवक्त्र पीनस्तनों। आबद्वाम्मृतरश्मि रत्नमुकुट बंदे महेशप्रियाम् ।।

रत्न निर्मित नुपूर्वी से शोभित चरण, मनचाहा वर देने बाली, रत्न-वस्त्र और द्वार-शोभित, निम्बदेश, नीलकान्ति, विनयना, उज्ज्वल प्रभा, शूल आदि हजारों अस्त्रों से शोभित हाथ, पीन उन्नतस्तन, चन्द्र शोभित मुकुटबाली महेशप्रिया की बन्दना करता हूं।

नृत्य त्याग कर काली जिस दिन सौम्य और शांत होकर शिव के अंक में आकर स्थित होती हैं, उस दिन ऋषिगण उसे महागौरी के नाम से सम्बोधित करते हैं। भगवती शांत होकर सौम्यावस्था को प्रकट करती है, महागौरी अनादि शक्ति का अनिर्वचनीय रूप है।

श्रेष्ठ पति या पत्नी प्राप्ति तथा पूर्ण सौन्दर्य प्राप्ति हेतु

नवरात्रि के आठवें दिन 'महागौरी' की साधना की जाती है। महागौरी परम सौभाग्य प्रदायक देवी हैं। स्त्रियां श्रेष्ठ पति प्राप्ति के लिये तथा पुरुष श्रेष्ठ पत्नी प्राप्ति के लिए इनकी उपासना करते हैं। इसके साथ गृहस्थ सुख में वृद्धि हेतु यह साधना आवश्यक है। अप्रतिम दिव्य सौन्दर्य प्राप्त करने के लिये साधक या साधिका इनकी साधना अवश्य सम्पन्न करें। साधना विधान: अपने सामने बाजोट पर श्वेत रेशमी वस्त्र, बिछाकर उस पर ताम्रपात्र में 'महागौरी यंत्र' का स्थापन कर भगवती महागौरी का ध्यान करें

श्वेतहस्तिसमारूढ़ा श्वेताम्बरवरा शुचिः । महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददर ।।

यंत्र का संक्षिप्त पूजन कर दूध से बना हुआ नैवेद्य अर्पित कर 'हकीक माला' से निम्न मंत्र का 21 माल मंत्र जप करें-

मंत्र

।। ॐ श्रीं महागौयें ॐ ।।

प्रयोग समाप्ति पर आरती सम्पन्न करें।

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