इंसान की कुटिलता और जानवर की शालीनता में बस एक ही अंतर है इंसान के दो चेहरे होते है जानवर चेहरे नहीं बदलता जो भी है जैसा भी है वह एक ही चेहरा रखता यही जानवर…
Read more »सच्चे अश्रु जो बहते परपीड़ा में... नयन कोर से बहे जो अश्रु अपनी पीड़ा में वह तो खारा पानी है सच्चे अश्रु स्वर्ण मोती से जो बहते है पर पीड़ा में। देख दुखी त्रासि…
Read more »बिखरते रिश्तों को समेटने की जद्दोजहद में... मुस्कुराते चेहरे पर दिल खाली खाली सा अधूरापन, अकेलापन जीवन का अहसास लिए अपनत्व, प्रतीक्षा और संबंध की एक अदृश्य ड…
Read more »कहने को कुछ मन नहीं... ख़ामोश चेहरे मुख पर पहरे बाहर सन्नाटा, भीतर सूनापन खामोशी के दौर में मन में कैसा शोर है शायद किसी ने छला है बाहर सबकुछ ठीक-ठाक भीतर शा…
Read more »दर्द सबको सुनाने से क्या फायदा... हद में अपनी रहो अपना तो है बस यही कायदा दर्द सबको सुनाने से क्या फायदा। जिंदगी के सफर में घने मोड़ है है कहीं समतल तो कहीं फिसलती रोड़ …
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