माँ शैलपुत्री

प्रथम दिवस माँ शैलपुत्री 

नवदुर्गा के नौ स्वरूप

नवदुर्गा के नौ स्वरूप शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघण्टा, कूष्माण्डा, स्कन्दमाता, कात्यायनी, कालरात्री, महागौरी, सिद्धिदात्री हैं। नवरात्रि के नौ दिनों में प्रत्येक दिन नवदुर्गा के एक-एक कर नौ दिन में सभी रूपों का मंत्र जप करना है। अर्थात् प्रथम दिन शैलपुत्री, दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी अंतिम दिन सिद्धिरात्री की साधना सम्पन्न करनी है।

प्रथम दिवस 

शैलपुत्री दिवस

शशि कोटि प्रभां चारु चन्द्रार्द्धकृत शेखराम्। 

त्रिशूल वरहस्तां च जटा मण्डित मस्तकाम् ।।

करोड़ों चन्द्रमा के समान प्रभामयी, आधे चारूचन्द्र से बद्धकेशी, हाथों में त्रिशूल और वर, माथे में जटावाली देवी शैलपुत्री का ध्यान करता हूं।

यह चिन्मयी शक्ति है। यह दिव्य ज्योति स्वरूपा है। आदिशक्ति की मानस कन्या का नाम ही शैलपुत्री है। मानव के पाषाण हृदय में प्रेम और स्नेह की जो ज्योति जलती रहती है, वंह शैलपुत्री है। सांसारिक अज्ञानता के बीच जो ज्ञान की ज्योति प्रज्ज्वलित होती है, उसे ही शैलपुत्री कहते हैं।

मानव जब भौतिक क्लेशों के बीच अपने आपको अकेला पाता है, उस समय हृदय में कोमलता की पुष्टि होती है, कोमलता या मानवता की यह सृष्टि ही शैलपुत्री है यह ज्योतिर्मयी शक्ति सतत् प्रवाहशील है, सचिन्तन की अवस्था ही शैलपुत्री है। स्पष्ट है, कि सदैव अच्छा सोचना और करना ही शैलपुत्री का प्रतीक है, यह सतत् विराजमान हैं।

सर्वमनीकामना पूर्ति हेतु नवरात्रि का प्रथम दिवस पर भगवती जगदम्बा 'शैलपुत्री' के रूप में साध्य है, शैलपुत्री की साधना साधकं अपनी मनोकामना पूर्ति हेतु करता है। अपने जीवन की भौतिक और आध्यात्मिक समस्त इच्छाओं को पूर्णता देने के लिए यह साधना महत्वपूर्ण है, जिसे सम्पन्न कर साधक अपनी इच्छाओं को पूर्ण कर सकता है।

साधना विधानः लकड़ी के बाजोट पर लाल रंग का वस्त्र बिछायें तथा उस पर केसर से 'शं' अंकित करें, उसके ऊपर

'मनोकामना पूर्ति गुटिका' स्थापित करें तथा साधक शैलपुत्री का ध्यान करते हुए लाल रंग का पुष्प चढ़ायें वन्दे वांछितलाभाय चन्द्रार्थकृ तशेखराम्। वृक्षारू ढ़ां शूलबरं मातरं च यशस्विनीं ।।

इस ध्यान के बाद गुटिका का सामान्य पूजन करे, घी का अखण्ड दीपक लगायें तथा भगवती से अपनी मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना कर नैवेद्य चढ़ायें, फिर 108 चिरमी. के दानों को एक-एक कर निम्न मंत्र बोलते हुए गुटिका पर चढ़ायें

मंत्र

।। ॐ शं शैलपुत्र्ये फट् ।।

 इसके पश्चात् पुनः मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना कर भगवती की आरती करें।

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