सद्भाव का पेड़-पौधों पर प्रभाव

सद्भाव का पेड़-पौधों पर प्रभाव


अगर एक सद्भाव से भरा हुआ व्यक्ति, मंगल कामना से भरा हुआ व्यक्ति आँख बंद करके अपने हाथ में जल से भरी हुई एक मटकी ले ले और कुछ क्षण सद्भावों के साथ उस जल की मटकी को हाथ में लिये रहे, तो वह जल गुणात्मक रूप से परिवर्तित हो जाता है। रूसी वैज्ञानिक कामेनियोव और अमरीकी वैज्ञानिक डा० रुडाल्फ किर इन दो व्यक्तियों ने बहुत से प्रयोग करके यह प्रमाणित किया है। यद्यपि केमिकली कोई फर्क नहीं होता। उस भले, भावनाओं से भरे हुए, मंगल आकाक्षाओं से भरे हुए व्यक्ति के हाथ में जल का स्पर्श, जल में कोई केमिकल, कोई रासायनिक परिवर्तन नहीं करता, लेकिन उस जल में फिर भी कोई गुणात्मक परिवर्तन हो जाता है। 

और वह जल अगर वीजों पर छिड़का जाय तो वे जल्दी अंकुरित होते हैं। साधारण जल की बजाय उसमें बड़े फूल आते हैं। बड़े फल लगते हैं, वे पौधे ज्यादा स्वस्थ होते हैं, साधारण जल की बजाय ज्यादा। कामेनियोव ने साधारण जल भी उन्हीं बीजों पर वैसे ही भूमि में छिड़का है और यह विशेप जल भी। और रुग्ण, विक्षिप्त, निगेटिव इमीशन से भरे हुए व्यक्ति, निषेधात्मक भाव से भरे हुए व्यक्ति, हत्या का विचार करने वाले, दूसरे को नुकसान पहुंचाने का विचार करने वाले, अमंगल की भावनाओं से भरे हुए व्यक्ति के हाथ में दिया गया जल भी वीजों पर छिड़का है। या तो वे बीज अंकुरित ही नहीं होते, या अंकुरित होते हैं तो रुग्ण अंकुरित होते हैं।


पन्द्रह वर्ष के हजारों प्रयोगों के वाद यह निष्पत्ति की जा सकी कि जल मैं जब तक हम सोचते थे कि केमिस्ट्री ही सब कुछ है, लेकिन केमिकली तो कोई फर्क नहीं होता, रासायनिक रूप से तीनों जलों में कोई फर्क नहीं होता । फिर भी कोई फर्क हो जरूर जाता है। वह फर्क क्या है? और वह फर्क जल में कहाँ से प्रवेश करता है। निश्चित ही वह फर्क, जब तक जो भी हमारे पास उपकरण हैं, उनसे नहीं जाँचा जा सकता है। लेकिन वह फर्क होता है, यह परिणाम से सिद्ध होता है। क्योंकि तीनों जलों का आत्मिक रूप बदल जाता है। केमिकल रूप तो नहीं बदलता, लेकिन तीनों जलां की आत्मा में कुछ रूपान्तरण हो जाता है। अगर जल में यह रूपान्तरण हो सकता है तो हमारे चारों ओर फैले हुए आकाश में भी हो सकता है। मंत्र की प्राथमिक आधारशिला यही है। मंगल भावनाओं से भरा हुआ मंत्र हमारे चारों ओर आकाश में गुणात्मक अंतर पैदा करता है, क्वालिटेटिव ट्रांसफार्मेशन करता है। और उस मंत्र से भरा हुआ व्यक्ति भी जव आपके पास से गुजरता है, तब भी वह अलग तरह के आकाश में गुजरता है। उसके चारों तरफ शरीर के आसपास एक भिन्न तरह का आकाश, ए डिफरेन्ट क्वालिटी आफ स्पेस पैदा हो जाती है।

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