एक उस भगवन (कविता)
अमात्रिक काव्य*
*(अमात्रिक काव्य:- हिंदी साहित्य की नवीन विधा एवं प्रयोग जिसमें काव्य में 'अ' की मात्रा के अतिरिक्त अन्य स्वरों की मात्रा का प्रयोग नहीं किया जाता और फिर भी अपने भावों की सहज अभिव्यक्ति छोटे-छोटे अमात्रिक पद और वाक्यों के द्वारा काव्य में की जाती है ।)*
मन-मग रहत ,
बस एक उलझन ।
हदय बस तब ,
चयन उस भगवन ।
जतन जब सरजन ,
अब अनवरत अर
अनवरत ।
जग-जन चमन सद,
बढ़त बस बरकत ।
ईश ,असलम ,
धन-धन ,सत-मदद ।
इस , उस सरजन पर ,
भगतन मन उलझन।
तन-मन-धन-जतन
उस पर बस अरपण ।
रत-रत भगत अर ,
करत कई जतनन।
बस उस पद दरशन।
बस उस पद दरशन ।
तन तड़पन ,
रहत जल, जल-जल ,
अर मन बस ,
बसत जड़ ,
सह उस तड़पन ।
टप-टप जब जल बह ,
नयनन सब नयनन ।
गगन गरज घम ,
बस उमड़न, अर उमड़न ।
जल-कल तब उदय रह ,
अर तट बह नदयन ।
मन बह भय-डर ,
नहरन पर उमगन ।
जगत बस जल-जल ,
मन भर अर उमगन ।
तन रह , बस अचल ,
मन उमग उस भगवन ।
हदय बसत अक्ष ,
तब परकट उस सरजन ।
अनवरत जतन तब,
हत-हट हदय जकड़न ।
दरश जब करत सब ,
*अजस* हर तन-मन ।
कर सकत ,
तब सब नमन ।
बस एक उस भगवन।
बस एक उस भगवन ।।
✍✍ *डी कुमार--अजस्र(दुर्गेश मेघवाल, बून्दी/राज.)*
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