डरो नहीं, सामना करो

डरो नहीं, सामना करो
        जीवन एक संघर्ष है। इस संघर्ष में आप पर आर्थिक, सामाजिक, मानसिक, बौद्धिक, व्यवहारिक हमले होंगे।आपको जो भी हमला मिलता है, वह आपको रक्षा का सबसे अच्छा तरीका सिखा रहा है। 
       एक बार स्वामी विवेकानंद बनारस में एक मंदिर से बाहर निकले। अचानक दो-तीन बंदर उन के पीछे पड़ गए। बंदर शायद कोई उम्मीद लिए हों, लेकिन स्वामीजी तो उन से डर गए। वे तेज गति से आगे बढ़ने लगे। बंदरों ने भी अपनी रफ्तार बढ़ा दी। स्वामीजी भागने लगे।
     तभी कहीं से एक आवाज आई, "डरो नहीं, सामना करो....! " स्वामीजी अचानक ठिठक गए। अब वह बंदरों के पीछे पड़ गए। बंदर भाग गए। स्वामीजी समझ गए, विपत्तियों से डर कर भागा नहीं जाता, उन का सामना करना चाहिए।
      समस्याओं के आने पर उनसे भागिए मत और न घबराइए। क्योंकि आपकी कोई भी समस्या आपको सिखा रही है कि समस्याओं का समाधान कैसे प्राप्त किया जाए।  
         
     जेम्स एलन ने कहा है कि-" दिमागी संतुलन आप को सामना करना सिखाता है। संकट पहले अज्ञान और दुर्बलता से उत्पन्न होते हैं, और फिर ज्ञान और शक्ति की प्राप्ति कराते हैं"।
 वही सोमदेव ने भी कहा है कि-"बुद्धि की परीक्षा संकट काल में होती है, और शूरों की संग्राम में"।
      व्यक्तित्व विकास का निर्णय सावधानी से लेना होगा। विपरीत परिस्थितियों में विकास करना और सफलता पाना कठिन अवश्य लगे, लेकिन यह असंभव नहीं होता। इस सच्चाई को भी समझना होगा कि जीवन में दिमागी सहायता और दिमागी संतुलन के बगैर सफलता नहीं मिल सकती।
        कभी-कभी कोई घटना, कोई विचार, कोई व्यक्ति, कोई विषय जो भी हो आपको परेशान करता है तो आप घबराए नहीं। वह आपको धैर्य और शांति सिखा रहा है। 
         जो कोई भी आपको छोड़ देता है वह आपको सिखा रहा है कि अपने पैरों पर कैसे खड़ा होना है। जो कुछ भी आपको ठेस पहुँचाता है तो बैचेन, उत्तेजित मत होना। थोड़े शान्ति एवं धैर्य से सोचना, वह आपको क्षमा और करुणा सिखा रहा है। 
         जो कुछ भी आप पर अधिकार रखता है उसकी अवहेलना मत करना। वह आपको अधिक शक्ति प्राप्त करना सिखा रहा है। 
         जिस चीज से आप नफरत करते हैं उसके बारे में जरा सोचना, चिंतन करना वह आपको बिना शर्त प्यार सिखा रही है। 
         आप जिस किसी चीज से डरते हैं, निश्चिंत होकर डरना छोड़ दीजिए। वह आपको अपने डर पर काबू पाने का साहस सिखा रही है। 
         जो कुछ भी आप नियंत्रित नहीं कर सकते हैं उसे नियंत्रित करना छोड़ दीजिए। क्योंकि वह आपके नियंत्रण क्षेत्र से बाहर है। वह आपको जाने देना सिखा रहा है।        
         जब आपको किसी से "नहीं" का जवाब मिलता है, तो आप इस "नहीं" की नकारात्मकता से झट बाहर आकर सकारात्मकता का दामन थाम लीजिए क्योंकि वह आपको स्वतंत्र होना सिखा रहा है। 
         जो कोई आपको नीचा देखता है वह आपको प्रभु की ओर देखना सिखा रहा है। जीवन के हर चरण में आपके सामने आने वाली हर स्थिति में हमेशा सबक की तलाश करें। शिक्षा की तलाश करें। नकारात्मकता से बाहर निकल कर सकारात्मकता से सोचे। आपको हर कार्य, व्यवहार में एक सीख के साथ आनन्द ही आनन्द मिलेगा। आपका जीवन आनन्दमय हो जायेगा। अपने बहुमूल्य जीवन का आनंद लें!

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