विज्ञान हमारे आसपास


                    विज्ञान हमारे जीवन में है। सुबह जागने से लेकर रात सोने तक हम विज्ञान का दर्शन करते हैं। विज्ञान हमारे आसपास होता है। पर हम विज्ञान किताबों से पढ़ते हैं। जब बच्चे से विज्ञान का कोई प्रश्न पूछा जाता है, तो वह लग जाता है उत्तर खोजने किताबों में। लग जाता है उत्तर को रटने में। हम ऐसा क्या करें कि बच्चे अपने आसपास विज्ञान का दर्शन करे। और प्रश्नों के उत्तर दे?

 

                   बड़ा सरल है विज्ञान

 

         अगर हम चाहे तो बच्चे को बड़ी आसानी

 से हमारे आसपास व हमारे घर में विज्ञान के दर्शन करा सकते है। विज्ञान से जोड़ सकते हैं। विज्ञान की समझ पैदा कर सकते हैं। इसके लिए मां बाप को जगरूक होना होगा। शिक्षकों को जगरूक होना होगा। एक वैज्ञानिक समझ बनानी होगी, तभी तो हम बच्चों को सीखा सकेंगे, समझा सकेंगे। इसके लिए सबसे पहले तो हमें खुद को यह समझना होगा कि विज्ञान क्या है? जब हम समझेंगे तभी तो हम बच्चे को समझा सकेंगे, बता सकेंगे।

तो आइए देर किस बात की, हम समझते हैं कि विज्ञान क्या है? तो शुरू करते हैं विज्ञान का एक पाठ "विज्ञान हमारे आसपास" "विज्ञान हमारे जीवन में" "विज्ञान हमारे घर में"

 

                    विज्ञान क्या है?

 

        सरल भाषा में कहे तो किसी विषय, वस्तु, घटना की व्यवस्थित जानकारी, दक्षता, योग्यता का ज्ञान ही विज्ञान है। अतः हमें विज्ञान के ज्ञान के लिए हमारे आसपास की वस्तुओं, घटनाओं को देखना होगा। हम चाहे तो इनकी एक सूची बना सकते हैं। तो आइए हम जल्दी-जल्दी एक सूची बना लेते हैं। सबसे पहले हम उन वस्तुओं की सूची बनाते हैं जो हमारे घर में व आसपास पाई जाती है, जिनका हम स्तेमाल करते हैं। इसके लिए हम एक कमरे में घुसते है, और देखते हैं-जैसे टेबल, कुर्सी, पलंगअलमारी, गादी,, तकिये, रजाई, बिस्तर, कपड़े, टीवी, जूते चप्पल, झाड़ू पोछा अब आप भी दिमाग लगाओ और इस सूची में वस्तुओं के नाम जोड़ते जाओ।

 

       चलो अब किचन में चलते हैं बाप रे बाप इतनी सारी वस्तुएं बर्तन, चुला, खाने का सामान इनकी अगर हम सूची बनाएँगे तो यह बहुत लंबी जाएगी। अब इनके नाम याद रखने तक तो बात ठीक लेकिन ये वस्तुएं कहाँ से प्राप्त होती है? किससे बनी है? एक पदार्थ से बनी है या अनेक पदार्थों से बनी है? और इन पदार्थों के गुण धर्म क्या है? इसकी जानकारी प्राप्त करना ही तो विज्ञान है। चलो अब हमने वस्तुओं की सूची बना तो ली है अब हम इनका व्यवस्थित और क्रमबद्ध ज्ञान प्राप्त करते हैं। उसके लिए हम वस्तुओं का वर्गीकरण करते हैं। अर्थात इतनी सारी वस्तुओं को कुछ समुह में बाट देते है, ताकि उनके बारे में सीखना-समझना सरल हो जाय। जैसे लकड़ी की बनी वस्तुएं, लोहे की बनी वस्तुएं, प्लास्टिक की बनी वस्तुएं, कपड़े की बनी वस्तुएं, प्राकृतिक वस्तुएं, मानव निर्मित वस्तुएं। 

 

                 कच्ची सामग्री के स्रोत

 

         दोस्तों जब इतनी जानकारी हमनें अपने आसपास से एकत्रित कर ली हैतो एक प्रश्न उठना लाजिमी है। कि इन वस्तुओं को बनाने में लगा कच्चा समान कहाँ से प्राप्त हुआ? तो हम बड़ी आसानी से बता सकते हैं कि ये कच्चा समान अलग-अलग जीव-जंतु, पेड़-पौधों, खनिज लवण से प्राप्त हुआ है। जिन्हें परिसंस्कृत कर हमारे उपयोग योग्य बनाया गया है। 

 

                  पदार्थ क्या है?

 

       अब इतना करते-करते मेरे मन में, मेरे दिमाग में प्रश्नों की कतार लग गई है। ये वस्तुएं किस पदार्थ से बनती है? क्या सभी वस्तुएं एक ही पदार्थ से बनती है, या अलग-अलग वस्तुएं अलग-अलग पदार्थों से बनती है। क्या एक वस्तु एक से अधिक पदार्थों से भी मिलकर बनती है? इतना सोचते-सोचते एक प्रश्न और जुड़ जाता हैं। पदार्थ किसे कहेंगें? पदार्थ क्या है? पदार्थ के गुण? रूप,रस,गंध, अवस्था। भौतिक गुण, रासायनिक गुण। पदार्थों से क्रियाएं जैसे जल से क्रिया, हवा से क्रिया, आग से क्रिया, आपस में एक दूसरे पदार्थों की क्रिया। भाई मुझे तो मजा आने लगा विज्ञान में क्या गजब की व्यवस्था है प्रकृति में? वास्तव में विज्ञान तो एक वास्तविक जादुई करिश्मा है जिसे हम रोज हमारे जीवन में हमारे आसपास देखते हैं।

 

    तो चलो पदार्थ किसे कहते है इसपर और विस्तार से बात करते हैं। क्योंकि बात से ही बात बनती है।

पदार्थ के बारे में हम कह सकते है कि वे वस्तुएं जिन्हें हमारी ज्ञानेन्द्रियाँ महसूस करती हैं जैसे स्पर्श से, स्वाद से, आंखों से वे सभी वस्तुएं पदार्थ कहलाती है। कुछ पदार्थ ठोस होते हैं जैसे टेबल कुर्सी, मकान, पत्थर तो कुछ द्रव जैसे पानी, तेल, फलों का रस, तो कुछ पदार्थ गैस जैसे होते हैं जिन्हें हम महसूस करते हैं पर देख नहीं सकते। जैसे हवा, आक्सीजन आदि। अब फिर एक प्रश्न उठा कि कुछ पदार्थ ठोस, तो कुछ द्रव, तो कुछ गैस जैसे क्यों होते हैं? क्या जो पदार्थ ठोस है वह द्रव हो सकता है? या जो गैस है वह ठोस हो सकता है? क्या पदार्थ भी अपनी अवस्था बदल लेता है? यदि हम कहे हां तो फिर कैसे? बड़ा रोचक प्रश्न है।

पदार्थ को अपनी अवस्था बदलने के लिए एक निश्चित तापमान की आवश्यकता होती है। प्रत्येक पदार्थ के लिए तापमान की अलग-अलग मांग है कोई कम तापमान पर अपनी अवस्था बदल लेता है तो किसी को अधिक ताप की आवश्यकता होती है। लेकिन इसमें एक बात निश्चित है कि यदि कोई पदार्थ ठोस अवस्था में है और उसको हम गरम करेंगे तो ताप बढ़ने पर वह पदार्थ एक निश्चित ताप पर द्रव में बदल जायेगा। और इसका ताप बढ़ाएंगे तो एक निश्चित ताप पर वही द्रव पदार्थ गैस में बदल जायेगा। अर्थात पदार्थ की अवस्था परिवर्तन दिशा ताप बढ़ने पर ठोस से द्रव व द्रव से गैस की ओर होगा। इसी प्रकार ताप घटाने पर यह गैस से द्रव व द्रव से ठोस की ओर होगा।

 

                   तत्व क्या है?

 

देखो इन प्रश्नों के उत्तर जानने एवं समझने के लिए हमें सबसे पहले यह समझना होगा कि पदार्थ बनते कैसे है? पदार्थ छोटे-छोटे कणों से मिलकर बनते हैं। विज्ञान की भाषा में इन्हें अणु कहते हैं। संसार में अनेक अणु है एक या एक से अधिक अणु मिलकर एक पदार्थ बनाते है। एक ही प्रकार के अणु मिलकर तत्व बनाते हैं और एक से अधिक तत्व मिलकर योगिक बनाते हैं। और ये तत्व और योगिक मिलकर पहाड़, नदियां, मिट्टी, खनिज, पेड़-पौधों, जीव जंतु, हवा बनाते हैं। सूरज, चाँद, सितारे बनाते हैं। और ये सभी मिलकर बह्मांड बनाने है। ये सभी पदार्थ अपने-अपने गुणों के अनुसार एक दूसरे से व्यवहार करते हैं। तत्वों के आपसी तालमेल, व्यवहार एवं क्रिया-प्रति क्रिया से दुनिया चलती है। कुछ पदार्थ बनते हैं तो कुछ बिगड़ते है। कुछ लाभदायक होते हैं तो कुछ हानिकारक होते हैं। वैज्ञानिक लोग पदार्थों के आपसी व्यवहार व गुणधर्मों का पता लगाकर हमारे लिए उपयोगी बनाते हैं। जिनका उपयोग हम दैनिक एवं स्थायी आवश्यकताओं की पूर्ति करने में करते हैं। जैसे भोजन, मकान, खेती -किसानी, कपड़े, स्वास्थ्य, बिजली, पानी, हवा, आदि।

    यदि हम अभी तक ज्ञात रासायनिक तत्वों की बात करें तो कुल 118 तत्व पृथ्वी पर खोजें जा चुके हैं। और लगभग इन्हीं तत्वों के एक निश्चित अनुपात में मिलने से अलग-अलग पदार्थ का निर्माण हुआ है।

 

                     इलेक्ट्रॉनिक युग

 

       पहले लोगों को तत्वों की प्रकृति एवं स्वभाव के बारे में अधिक जानकारी नहीं थी लेकिन जैसे-जैसे खोजें होती गई वैज्ञानिक तत्वों की खोज करते गये। तत्वों के अंदर घुसते गए नए-नए अविष्कार होते गए।

जब वैज्ञानिक अणु के अंदर घुसे तो बिजली पैदा हो गई। बिजली के पैदा होते ही सारी दुनियां ही बदल गई। अब तो हर काम बिजली से होने लगा। बिजली से कितने काम होते हैं इसको गिनाना मुश्किल है। और अब बिजली के बिना एक पल भी जीना मुश्किल है। जब वैज्ञानिकों ने परमाणु के अंदर इलेट्रॉनों की उछलकूद को देखा तो लोग तार से बेतार हो गए। टीवी, लैपटॉप, कम्प्यूटर, मोबाइल, इंटरनेट से घर बैठे दुनियां को देखने लगे, हवा में बातें करने लगे।

 




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1 टिप्पणियाँ

Sudha Devrani ने कहा…
बहुत ही अच्छे से समझाया है एक शिक्षक की तरह विज्ञान को...
बहुत ही सुन्दर ।