सूरज पश्चिम में डूब गया (विज्ञान बाल कथा)

         हर रोज की तरह जब सुबह सोनू उठी, तो उसने उठते ही देखा कि सूरज पूरब से निकल रहा है। वह मन ही मन सोचती हैं कि अभी-अभी था घना अंधरा अब न जाने वह किधर गया। वह बिस्तर से उठते ही मुंह- हाथ धोती। मंजन से ब्रश करती। चाय पीती। उसकी सुबह की शुरुआत कुछ इस तरह हो जाती। फिर वह नहाती, खाना खाती, थोड़ा होमवर्क करती। मम्मी टिफिन तैयार करती। वह स्कूल के लिए तैयार होती, इतने में स्कूल बस आ जाती। वह बस में बैठती, बस रवाना हो जाती। 

         चलती बस में से वह बाहर झांकती। वह देखती है कि खड़े पेड़, मकान, नदी, पहाड़ सब पीछे की ओर भागे जा रहे हैं। स्कूल में जाकर उसने सूरज को देखा तो वह ऊपर की ओर उठ आया है। स्कूल से आकर उसने शाम को देखा तो सूरज पश्चिम दिशा में डूब रहा है। 

          रात को वह अपनी दादी के पास सोती है, और दादी ही अधिकतर उसके सवालों का जवाब देती है। लेकिन दादी के जवाब में तथा उसकी मम्मी के जवाबों में अक्सर अंतर होता था।

          आज रात को उसने अपनी दादी से पूछा कि "दादी सूरज रोज सुबह से पूर्व में निकलता है और शाम को पश्चिम में किस पर बैठ कर, कहाँ चला जाता है? और रोज-रोज क्यों जाता है? उसका ओर कोई काम नहीं है? वह थकता नहीं? वह रोज-रोज क्यों हमारे चक्कर लगाया करता है? इनका चक्कर क्या है?

          दादी कहती है बेटा सूरज हम सब के दादा है। वह रोज सुबह पूर्व दिशा से अपने घोड़े पर बैठे कर हमें जगाने आते हैं, और शाम को हमें सुलाने के लिए पश्चिम दिशा में अपने घर चले जाते हैं। वह दादी के पास सोई है पर उसे नींद नहीं आ रही। वह सोचती रहती है कि सूरज का घोड़ा आकाश में कैसे चलता होगा? क्योंकि उसने घोड़े को तो जमीन पर चलते देखा है। सूरज दादा का चेहरा कैसे होगा? उनका घर पश्चिम में है तो वे सुबह-सुबह पूर्व दिशा में कैसे आ जाते हैं? और वह सोचते-सोचते सो जाती है। 

          सुबह उठते ही वह अपनी मम्मी से पूछती है कि मम्मी सूरज दादा रोज सुबह पूर्व में कहाँ से आ जाते हैं? और दादी कहती है कि वे घोड़े पर बैठकर जाते हैं तो उनका घोड़ा तो हमें दिखाई ही नहीं देता। और आकाश में उनका घोड़ा कैसे चलता है? क्या उनका घोड़ा उड़ता हैं।

          मम्मी ने कहा बेटा सूरज न आता है न जाता है। सूर्य तो एक जगह पर स्थिर है और हमारी पृथ्वी ही उसके इर्द-गिर्द चक्कर लगा रही है। सूर्य की परिक्रमा करते समय पृथ्वी अपनी ही धुरी पर घूमती रहती है। पृथ्वी पर खड़े हम लोगों को उसके इस घूमने का एहसास नहीं होता। जब हमारी पृथ्वी घूमती है तो हमें लगता है कि सूरज घूम रहा है और इसीलिए हम सूरज को पूर्व से उगते और पश्चिम में डूबते हुए देखते हैं। 

          सोनू ने फिर आश्चर्य से पूछा कि मम्मी आपको कैसें मालूम कि पृथ्वी अपने स्थान पर घूम रही है? और जब पृथ्वी घूम रही है तो हमें पृथ्वी घूमते हुए क्यों नहीं दिखाई देती है? और सूर्य स्थिर है तो फिर हमें चलता हुआ क्यों दिखाई देता है? फिर दादी ने क्यों कहा कि सूरज पूर्व से निकल कर पश्चिम में जाता है? 

          बेटा दादी पुराने ख्यालात की है। उसकी बातें भी सच है। वे पुराने जमाने की बात करती है। सच में पुराने जमाने के लोगों को बहुत सारी बातों के बारे में मालूम ही नहीं था। 

          जब से मनुष्य को सोचने समझने की शक्ति मिली है। तब से उनको आकाश व धरती के बारे में जानने की इच्छा रही है। इसे जानने में उन्हें हजारों वर्ष लग गए। इसी कड़ी को आगे बढ़ाते बढ़ाते कई वैज्ञानिक ने ब्रम्हांड के अनेक राज खोले है। बेटा सबसे पहले आर्यभट्ट ने कहा था कि पृथ्वी सूर्य के चक्कर लगा रही है पर लोगों ने माना नहीं,  फिर गैलीलियो नामक वैज्ञानिक ने दूरबीन की खोज कर लोगों को दिखाया। तब जाकर लोगों ने माना कि दिन रात का होना एक प्राकृतिक घटना है जो सूर्य और पृथ्वी के घूर्णन गति के कारण होती है।

          मम्मी ने बोला मैं इसे और विस्तार से समझाती हूं। बेटा रात में खुले मैदान में खड़े होकर कुछ दूरी पर जलते बल्ब को सीधे सामने से देखो। अब तुम अगर अपनी बाईं ओर मुड़ना शुरू करोगे तो तुम देखोगे कि बल्ब दाईं ओर खिसक रहा है। धीरे-धीरे मुड़ना जारी रखो। जब तुम अर्धवृत्त पीछे की ओर घूम चुके होगे तो बल्ब दिखना बंद हो जाएगा। वह तुम्हारी पीठ की ओर है। अब सूरज रूपी बल्ब ढल चुका है। अब तुम उसी ओर मुड़ना जारी रखो। कुछ समय बाद तुम्हें बल्ब फिर दिखने लगेगा। समझ लो सूरज उग चुका है। क्या अब तुम्हें पता चला कि सूरज क्यों उगता है, और कैसे ढलता है? सोनू को आज समझ में आया कि चलती हुई बस में उसे पेड़ एवं मकान चलते हुए क्यों दिखाई देते हैं? क्योंकि बस चल रही थी। उसने कहा की मम्मी आज की सुबह मेरे लिए एक अच्छी ज्ञान की शुरुआत लेकर आई। मैंने आज एक सबक सीखा कि पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा लगाती है, और अपने अक्ष पर एक लट्टू की भांति पश्चिम से पूर्व की ओर घूमती रहती है। इस कारण दिन और रात होता है। साथ ही 24 घंटे में पृथ्वी अपना एक चकरा लगती है, जिस तरफ सूर्य की रौशनी पृथ्वी पर पड़ती है उस स्थान पर दिन होता है और उसके पीछे की ओर के स्थान पर रात होती है। रात का मतलब अंधेरा जहां सूर्य का प्रकाश नहीं होता। दिन का मतलब उजाला जहाँ सूर्य का प्रकाश होता है। इसी कारण कहीं दिन होता है तो कहीं रात होती है।

         दिनरात क्यों होते हैं? सोनू को तो आज समझ में आ गया। क्या आपको समझ में आया सूरज पश्चिम में डूब जाता है। क्यों? 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ