सूरज दादा (बाल कविता)


सूरज दादा बड़े सबेरे,
क्यों जल्दी आ जाते हो।
प्यारी-प्यारी नींद हमारी,
गड़बड़ सब कर जाते हो।।

सपने में हम कुल्फी खाते
तुम देख-देख जल जाते हो।
अच्छे-अच्छे सपने आते,
उनको दूर भगाते हो।।

अब गर्मी में एसी कूलर 
हर पल तुम चलवाते हो।
बंद रहे जब बिजली रानी
नानी याद दिलाते हो।।

तुमको सब दादा कहते है,
दादागिरी दिखाते हो।
गर्मी के मौसम में दादा,
आँखे खूब दिखाते हो।।


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