ए मानव अब तो जाग जरा, पर्यावरण दिवस पर विशेष

    *पर्यावरण दिवस पर विशेष....*🦚🦜🎄🌳☘️🍀🍃🪴🌞🌝🌈☔
पर्यावरण जागरूकता गीत*

      *ए मानव अब तो जाग जरा*
पर्यावरण जागरूकता गीत

धरा में ही धरा है सब कुछ ,

धरा से ही तुझे मिला है सब कुछ ,

अनमोल वसु ये हवा ,पानी ,

इनका तू क्या मोल, चुकाएगा ?

इनसे ही जिया, इसमें ही मरे,

इससे तू जीत ना पाएगा ।

ए मानव अब तो जाग जरा,

तू धरा का धरा रह जाएगा ।


पाया शरीर तूने पंचतत्वों से ,

सबका अपना अपना काम ।

नष्ट इन्हें तु अंध कर रहा ,

बिगड़ रहा स्वरूप तमाम ।

तुच्छ स्वार्थों को पाने से ,

तू समूल नष्ट हो जाएगा ।

ए मानव अब तो जाग जरा …


चाल प्रकृति दिन व वर्ष की,

सब नियत अरबों वर्षों से ।

प्राणी कितने आए गए पर ,

स्वरूप अमर है वर्षों से ।

तंत्र नियंत्रित अदृश हाथों में ,

बिगाड़ कोई क्या पाएगा ।

ए मानव अब तो जाग जरा….


पेड़ पहाड़ नदियां सागर सब,

सजीव निर्जीव यह पारितंत्र ।

जीवन तुझको ,सब कुछ दे रहे ,

कदम कदम के संसा-संत्र ।

सोने के अंडे पाकर भी जो तू ,

लोभ छोड़ ना पाएगा ।

ए मानव अब तो जाग जरा …..


सभ्यता ,संस्कृति, विज्ञान, आविष्कार,

समाज ,राजनीति ,देश तमाम ।

' अजस्र ' ऊंचाई तूने सब पाई,

प्राणियों में तू सिरमौर महान ।

' खेला ' तूने सब कुछ खेला ,

तेरा खेल बिगड़ सब जाएगा ।

ए मानव अब तो जाग जरा…..


समय अभी है जतन कुछ कर ले ,

लोभ स्वार्थों से पीछे हटकर ।

हरियाली ही धरा का गहना ,

पेड़ धरा के सब अमृत कर ।

तेरे दुष्कर्मों से नहीं तो ,

*' अजस्र '* तंत्र मर जाएगा ।

ए मानव अब तो जाग जरा ,

तू धरा का धरा रह जाएगा ।


      ✍️✍️ *डी कुमार –अजस्र (दुर्गेश मेघवाल, बून्दी/राज.)*

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