अर्धांगिनी...
मेरी रहो के
सब कांटे
वह बिन लेती
मेरे हिस्से के
गम सारे
वह छीन लेती।
मेरे चेहरे की परेशानियां
देख सभी
वह गिन लेती।
मेरे सपने
मेरी खुशियां
सब की सब
वह गुन लेती।
छोड़ बुराई
मेरी कमियां
सब अच्छाई
वह चुन लेती।
जीवन बगिया
सदा हरी हो
सपनो की चादर
वह बुन लेती।
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