झूठे वादे


नेताजी की हुंकार

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नेता जी ने फिर हुंकारा।

झूठे वादे से ललकारा।।

गली गांव में गूंजा नारा।

होगा अब उद्धार तुम्हारा।।


करने लगे अजब कमाल।

झूठ फरेब बिछाया जाल।।

बॉटल नोट से मांगे ओट।

पहन के कुर्ता टाई कोट।।


अबके मुझको देना ओट

फिर से तुमको दूँगा चोट।।

खाली करूंगा सारी जेब।

ले लूंगा मैं कंगन पाजेब।।


चमचे चम्मच लेकर आए

नेता जी को फूल चढ़ाए।

कुछ चमचों ने माथा टेका

कुछ ने रंग गुलाल फेंका।।


पर जनता ने अब के ठाना

नेता जी को भी पहचाना

मन ही मन में बांधी गांठ

कर दिये बल्ब सारे सांठ।।


कैलाश मंडलोई "कदंब"


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