काम करते नन्हें हाथ देखो

काम करते नन्हें हाथ देखो...


खेलने की उम्र में

काम करते हाथ देखो

छः बरस की कद काठी

हाथ में जिसके भैस की लाठी।


जिसके हाथ में होना था

पेन कॉपी किताब के पन्ने

खड़े मिलेंगे बनते मकानों में

रेत ईंट सीमेंट गारे में सने।


कुछ भिखमंगे

फटेहाल कुछ

कुछ अधनंगे बच्चे

कागज बीनते

ढूढ़ते कूड़े में खाना

कुछ तो मिल जाएंगे 

गली गांव हर शहर में।


जन्म हुआ इनका धरती पर

मगर इसमें इनका कोई दोष नहीं

जिनके घर पैदा हुए

उनको भी था होश नहीं

कौन होश में इनको लाए?

कौन है सुनने वाला इनकी?

इनकी पीढ़ा किन्हें सुने?

इनकी जीवन बगिया भी महके

ये बच्चे भी बन पँछी से चहके।।




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