कृतज्ञता, आभार का जीवन में महत्व

कृतज्ञता, आभार मित्रों

मेरे जन्मदिन को आप सभी लोगो ने महत्वपूर्ण दिन बनाया। आपकी शुभ कामनाओं और सद्भावनाओं के लिये अनुग्रहीत हूँ। और मैं हृदय तल से आप सभी मित्रों, गुरूओ, शिक्षकों, साहित्यकारों एवं विद्यार्थियों का आभार व्यक्त करता हूँ। 

मुझे अभी फेसबुक ने मेसेज कर बताया कि आप एक अच्छी पोस्ट बनाकर उन साथियों का आभार व्यक्त करो जिन्होंने तुम्हारे जन्मदिन को महत्वपूर्ण बना दिया।

अतः पुनः मैं आपके प्रति अपनी कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ।

तो सोचा क्यों न "कृतज्ञता" पर कुछ लिखा जाए।

कृतज्ञता सृष्टि के एक नियम के ज़रिए कार्य करती है, जो आपके समूचे जीवन को संचालित करता है। आकर्षण का नियम हमारी सृष्टि में एक अणु से लेकर ग्रहों की गतियों तक सारी ऊर्जा को शासित करता है और इस नियम के अनुसार, "समान ही समान को आकर्षित करता है।" आकर्षण का नियम ही है, जिसकी बदौलत हर जीवित प्राणी की कोशिकाएँ एक साथ जुड़ी रहती हैं, जिसकी बदौलत हर भौतिक वस्तु का रूप कायम है। आपके जीवन में यह नियम आपके विचारों और भावनाओं पर कार्य करता है, क्योंकि आप भी ऊर्जा ही हैं और आप जैसा भी सोचते हैं, जैसा भी महसूस करते हैं, वैसा ही अपनी ओर आकर्षित करते हैं।

न्यूटन की वैज्ञानिक खोजों में सृष्टि में गति के मूलभूत नियम शामिल थे, जिनमें से एक यह है :

हर क्रिया की हमेशा विपरीत और समान प्रतिक्रिया होती है।

जब आप कृतज्ञता के विचार को न्यूटन के नियम पर लागू करते हैं, तो यह इस प्रकार होता है : धन्यवाद देने की हर क्रिया हमेशा पाने की विपरीत प्रतिक्रिया उत्पन्न करती है, यानी कि आप पाते हैं। और आप जो पाते हैं, वह हमेशा आपके द्वारा दी गई कृतज्ञता की मात्रा के समान होगा। इसका अर्थ है कि कृतज्ञता की क्रिया पाने की प्रतिक्रिया को शुरू कर देती है! और आप जितनी ईमानदारी और गहराई से कृतज्ञता महसूस करते हैं (दूसरे शब्दों में, जितनी अधिक कृतज्ञता देते हैं), आप उतना ही अधिक पाएँगे।

कृतज्ञता का स्वर्णिम धागा---

हज़ारों-हज़ार साल पहले से, मानव जाति के शुरुआती अभिलेखन में भी कृतज्ञता की शक्ति के बारे में बताया गया है और इसका अभ्यास किया गया है। यह सदियों से महाद्वीपों के पार एक सभ्यता से दूसरी सभ्यता तक हस्तांतरित होती रही है। कृतज्ञता ईसाई, इस्लाम, यहूदी, बौद्ध, सिख और हिंदू सभी धर्मों के मूल में है।

मुहम्मद ने कहा था कि आपको जो विपुल समृद्धि मिली है, उसके लिए कृतज्ञता सबसे अच्छी गारंटी है कि यह समृद्धि जारी रहेगी।

बुद्ध ने कहा था कि आपके पास कृतज्ञता और ख़ुशी के अलावा किसी चीज़ का कोई कारण नहीं है।

लाओ त्सू ने कहा था कि यदि आप वर्तमान परिस्थितियों में आनंदित रहते हैं, तो पूरा संसार आपके क़दमों में बिछा होगा।

कृष्ण ने कहा था कि उन्हें जो भी दिया जाता है, वे उसे ख़ुशी-खुशी स्वीकार करते हैं।

सम्राट डेविड ने पूरे संसार की हर उस चीज़ को धन्यवाद देने को कहा था, जो धरती और स्वर्ग के बीच मौजूद है।

और ईसा मसीह ने हर चमत्कार करने से पहले धन्यवाद कहा था।

कृतज्ञता का अभ्यास ऑस्ट्रेलिया के मूल निवासियों से लेकर अफ्रीका के मासाई और जुलू तक, अमेरिकी नवाज़ो, शॉनी और चेरोकी से ताहिती, एस्किमो और माओरी के वासियों तक सबसे प्राचीन परंपराओं की जड़ में है।

"जब भी आप सुबह उठें, सुबह की रोशनी के लिए धन्यवाद दें, अपने जीवन और शक्ति के लिए धन्यवाद दें। अपने भोजन और जीने के आनंद के लिए धन्यवाद दें। यदि धन्यवाद देने का कोई कारण नज़र नहीं आता है, तो दोष आपका ही है।"

इतिहास में बहुत से मशहूर लोग हुए हैं, जिन्होंने कृतज्ञता का अभ्यास किया और जिनकी उपलब्धियों ने उन्हें महापुरुषों की श्रेणी में ला खड़ा किया गाँधीजी, मदर टेरेसा, मार्टिन लूथर किंग जूनियर, दलाई लामा, लियोनार्डो द विंची, प्लेटो, शेक्सपियर, ईसप, ब्लैक, इमर्सन, डिकेन्स, प्राउस्ट, देकार्त, लिंकन, युंग, न्यूटन, आइंस्टाइन और बहुत सी अन्य हस्तियाँ।

अल्बर्ट आइंस्टाइन की वैज्ञानिक खोजों ने संसार को देखने के हमारे तरीक़े को बदलकर रख दिया और जब उनसे उनकी विराट उपलब्धियों के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने सिर्फ़ दूसरों को

धन्यवाद देने का उल्लेख किया। आइंस्टाइन इतिहास के सबसे प्रतिभाशाली व्यक्तियों में से एक थे, लेकिन उन्होंने दूसरे लोगों को उनके काम के लिए दिन में सौ से अधिक बार धन्यवाद दिया!

क्या इसमें हैरानी की कोई बात है कि जीवन के इतने सारे रहस्य अल्बर्ट आइंस्टाइन के सामने उजागर हुए? क्या इसमें हैरानी की कोई बात है कि अल्बर्ट आइंस्टाइन ने इतिहास की कुछ सबसे महानतम वैज्ञानिक खोज कीं? उन्होंने जीवन के हर दिन कृतज्ञता का अभ्यास किया और बदले में उन्हें समृद्धि के कई रूप प्राप्त हुए।

जब आइज़क न्यूटन से पूछा गया कि उन्होंने इतनी सारी वैज्ञानिक खोज कैसे कर लीं, तो उन्होंने कहा था कि वे विराट लोगों के कंधों पर खड़े हुए थे। आइज़क न्यूटन को हाल ही में विज्ञान और मानव जाति के प्रति सर्वाधिक योगदान देने वाला इंसान घोषित किया गया है, लेकिन वे भी अपने से पहले आए लोगों के प्रति कृतज्ञ थे।

जिन वैज्ञानिकों, दार्शनिकों, खोजियों, आविष्कारकों तथा पैगंबरों ने कृतज्ञता का अभ्यास किया था, उन्हें इसके बहुत अच्छे परिणाम मिले और अधिकतर को इसकी आंतरिक शक्ति का ज्ञान था। बहरहाल, आज के अधिकतर लोगों को कृतज्ञता की शक्ति की जानकारी नहीं है, क्योंकि जीवन में कृतज्ञता के जादू को अनुभव करने के लिए आपको इसका अभ्यास करना होता है!

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