उदासी नहीं खुशी बिखेरो

 


             उदास चेहरा सब को उदास कर देगा

    एक बात जग प्रसिद्ध है हंसते का चेहरा सभी देखते हैं उदास का नहीं। हंसता चेहरा खुशी बिखेरता है उदास नहीं।

     क्या तुम उदास हो? क्या तुम अपना उदास चेहरा लिए हुए घर में प्रवेश कर रहे हो? तो सावधान आपकी ये उदासी आपके पूरे परिवार को उदास कर देगी। आपके मिलने वाले को उदास कर देगी। सबको मौन कर देगी। आपसे दूर कर देगी।

     क्या तुम अक्सर नहीं देखते कि जिस दिन तुम घर मैं होते हो, उस दिन बच्चे तुमसे दूर रहने में ही अपना भला समझते हैं और 'सुस्त दाखिल तुम्हारी धर्मपत्नी चुप रहना ही अपना कर्तव्य समझती है ! असल में वे तुम्हारी उदासी में तुमसे दूर ही रहना चाहते हैं। 

      क्या आपको पता है इंसान उदास कब होता है?

     इंसान उदास कब होता है? जब इंसान की इच्छाये अधूरी रह जाती है तो वो उदास होता है। कोई भी इंसान जीवन में अपनी सम्पूर्ण इच्छाओं को पूरा नहीं कर सका। एक को पूरी करो दूसरी आ जाती है, दूसरी को पूरी करो तीसरी आ जाती है। इच्छाएं अनन्त है। जिसका न आदि है न अंत।

             क्या आपको पता है उदासी एक बीमारी है?

      हां ये सच है, उदासी एक बीमारी है, स्वार्थ उसका परहेज है और परमार्थ उसकी दवा, खिला चेहरा इस बात को बताता है कि बीमारी चली गई।

'नहीं हो सकने' की विचारधारा का नाम ही उदासी है। 'क्यों नही हो सकेगा ? जरूर हो सकेगा ऐसी विचारधारा उदासी को एक क्षण में खत्म कर देगी। असल में आफतों में से बहुत-सी ऐसी हुआ करती हैं, जो आती है और पलट कर चली जाती हैं। कुछ आफत कुछ देर करके जाती हैं; पर ऐसी तो लाखो मे एक होती है, जो आकर नहीं जाती। 'न हो सकने' की विचारधारा आपको उस आखिरी किस्म की आदत में बदल देती है मामूली उलझन में फँसकर हम हिम्मत छोड़ देते हैं और अपनी बुद्धि खो बैठते हैं। और उदास हो जाते हैं।

          तो आओ उदासी नहीं खुशी बिखेरो

   कुछ न सही, औरो को देखकर ही सबक लो। उदासी नहीं खुशी बिखेरो। अगर यह भी न कर सको, तो औरों की खातिर ही उदास बनना छोडो। ये मनोभाव छूत की बीमारी की तरह औरो को लगते हैं। तुम्हारी उदासी घर भर को उदास कर देगी। तुम अपना दिल तोड़कर न जाने कितनों का दिल तोड़ बैठोगे । तुमको क्या पता कि जिनका दिल तुम अनजाने अपनी उदासी से तोड़ रहे हो, वे कितने उत्साह के साथ दुनिया की कठिन लड़ाई लड़ रहे थे; और तुमको क्या पता कि वे कामयाबी के कितने पास पहुँच चुके थे। तुम लाखों रुपये देकर लोगों का इतना भला नहीं कर सकते, जितना खुश रहकर, ताली बजाकर लोगो की हिम्मत बढ़ाकर कर सकते हो। कम-से-कम मुर्दनी चेहरा बनाये-बनाये तो न फिरो उदासी आने पर एकान्त कमरे मैं जाओ और शीशे में अपना चेहरा देखो। तुम्हारा चेहरा तुम्हे कैसा मालूम होगा। अब नकली हँसी हँसो, वह हॅसी भी किसी दर्जे तक तुम्हारे दिल को बदलने में मदद करेगी। 'खुशी' खुशी पैदा करती है और 'उदासी' उदासी ।

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