सत्ता के पुजारी

 
 तुमको होना महल अटारी
गुड़िया प्यारी सूट सफारी।।

दुनियाँ से क्या मतलब तुमको
भाड़ में जाए दुनियादारी।।

भरी दुपहरी फसलें सींचे।
फिर भी भूखा अन्न पुजारी।।

उसे चैन की नींद न आए
तुझको हर पल नींद खुमारी।।

उसको  पैदल ही चलना है
वह सपनों पर करें सवारी।।

सिर ढंकने को छत नही है
वह बना रहे छत तुम्हारी।।

उसको भी मिल जाए रोटी
हो जाए बस माल गुजारी।।

कैलाश मंडलोई 'कदंब'

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