बेमन ही सही वह गुजर गया...
इस जहां में आकर
कौन कमबख्त चाहता है
वह दुनिया से दूर हो
मगर दुनिया ही उसे दूर कर देती।
फंसता चला गया
व्यसन और फैशन की दलदल में
ना सुनी आवाज वक़्त की
यारी रिश्तेदारी की कल-कल में।
दौलत की चकाचौंध में
उलझा रहा सदा।
रूप रंग यौवन पर
फुला रहा सदा।
रूह को बेवफाई आती नही
तन बेवफाई कर गया।
मन तो नहीं था जाने का
बेमन ही सही वह गुजर गया।
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